*डॉ. रीना रवि मालपानी
आजादी की कीमत का न कोई मोल है,
स्वतन्त्रता का एक-एक क्षण अत्यंत ही अनमोल है।
आजादी की कीमत को हमें समझना है,
कोरोना महामारी के वर्तमान परिदृश्य में घरो में ठहरना है।
आजादी की कीमत को नहीं गँवाना है,
देशहित के कार्यों में अपने आपको इस समय लगाना है।
आजादी की कीमत को सच्चा देशभक्त बनके चुकाना है,
वसुधैव कुटुंबकम भावना से करनी आराधना है।
आजादी की कीमत सही मायने में अब समझ आई है,
फैला सन्नाटा जब चारो ओर बेबस घड़ी आई है।
आजादी की कीमत के लिए त्याग करने की जरूरत है,
वक्त बड़ा बलवान है और सब कुछ ही तो कुदरत है।
आजादी की कीमत को समझ के जीवन को खुशहाल बनाना है,
देश के नवयुवको को संघर्ष का पाठ पढ़ाना है।
आजादी की कीमत की क्या सच्चाई है,
कोरोना विषाणु ने तबाही चारो ओर मचाई है।
आजादी की कीमत इस बार खतरनाक है,
इंसान है बेबस और बिगड़े हालत है।
आजादी की कीमत की खातिर सबको एकजुट होना है,
हमको इस मानव जीवन को ऐसे नहीं खोना है।
आजादी की कीमत के लिए क्या-क्या सबने गँवाया है,
हमने अब स्वअनुशासन का रास्ता अपनाया है।
आजादी की कीमत अदा करने का समय आया है,
आज पक्षी स्वच्छंद और मानव घरो में कैद सा नज़र आया है।
आजादी की कीमत को अब सच्चाई से स्वीकारना है,
कोरोना जैसे अदृश्य विषाणु से हार नहीं मानना है।
*डॉ. रीना रवि मालपानी, नागदा, उज्जैन
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