*हमीद कानपुरी
करोना को घर अपने बुलवा रहे हो।
बराबर जो बाहर से आ जा रहे हो।
हक़ीक़त बताने से कतरा रहे हो।
भला झूठ इतना क्यूँ फैला रहे हो।
छुपाना भला चाहते क्या हो मुझसे,
नज़र जो मिलाने से कतरा रहे हो।
यकीनन ज़रूरी कोई काम होगा,
जो क़ासिद से रहरह के बुलवा रहेहो।
पसीना बताता है माथे का तेरे,
किसी बात से यार घबरा रहे हो।
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गर वबा से बचाव करना है।
ठीक से रख रखाव करना है।
सोचकर खूब पग बढ़ाना अब,
ख़त्म सारा दबाव करना है।
सबकेमुँह वाहवाह निकले बस,
इस तरह से रचाव करना है।
चाल धीमी ज़रा नहीं करिये,
लक्ष्य पर जा पड़ाव करना है।
सबको राशन हमीद पहुँचाना,
दूर सबका अभाव करना है।
*हमीद कानपुरी
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