*हरीश सिंगला
संकट मे है ये दुनिया सारी,
अदृश्य कीड़ा सब पर भारी|
कर लो खुद को क़ैद घर मे,
जनहित मे फरमान जारी|
ज़रूरत का सामान मिलेगा,
मत करने दो कालाबाज़ारी|
बाँटा एक, दिखलाया अनेक,
वाह रे इंसान तेरी दिलदारी|
बचाने वाले पर किया हमला,
नमालूम कैसी है ये खुमारी|
धर्म की लड़ाई फिर लड़ना,
इंसानियत से कर लो यारी|
जानवर भी आए चपेट मे,
जाने अब किसकी है बारी|
हथियार हुए हैं सब बेकार,
हर तरफ है फैली लाचारी|
रहनुमाओं के घर ताले पड़े,
बिसात क्या ‘हरीश’ तुम्हारी|
लड़ाई ये अब लंबी चलेगी,
रखो हौंसला, करो तैयारी|
हरीश सिंगला, हैदराबाद
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