*पुष्पा सिंघी
मानवता से है अनजानी !
कोरोना की यह रामकहानी !!
आदि-अंत का नहीं पता
समग्र विश्व को रहा सता
सड़कों में छायी वीरानी
कोरोना की यह रामकहानी !!
अणु-परमाणु बम पुराने
वायरस के गूंज रहे हैं गाने
वसुधा-पीर किसने जानी
कोरोना की यह रामकहानी !!
आसुरी शक्ति का अट्टहास
अहिंसा की घुट रही साँस
व्यथित शांति माँगे पानी
कोरोना की यह रामकहानी !!
महत्वाकांक्षाओं की अति
परिणाम न जाने मूढ़मति
चादर खूनी, कहाँ न तानी
कोरोना की यह रामकहानी !!
कभी न धुलेंगे दाग ये गहरे
सत्ता की चाहत के पहरे
मेटी पुरखों की निशानी
कोरोना की यह रामकहानी !!
जीवन-मूल्य हुए बेहाल
वायरस का यूँ फैला जाल
दबंग मौत की है मनमानी
कोरोना की यह रामकहानी !!
चेतो अब, हे धरती-पुत्र !
सजगता से तुम उकेरो चित्र
राग प्रभाती, तुम्हें है गानी
कोरोना की यह रामकहानी !!
ऋषि-मुनियों की गहरी वाणी
संस्कृति जग जागृत कल्याणी
बुजुर्गों की हर बात सयानी
कोरोना की यह रामकहानी !!
स्वच्छता को हमें अपनाना है
शत्रु घर बैठे हमें हराना है
अपने पर तो आँच न आनी
कोरोना की यह रामकहानी !!
संकल्प-ध्वजा फहरायें हम
आओ ! संयम अपनायें हम
दीप-मालिका हमें सजानी
कोरोना की यह रामकहानी !!
लाॅक डाउन में भलाई
कोरोना को देंगे विदाई
जीतेंगे हम हिन्दुस्थानी
कोरोना की यह रामकहानी !!
*पुष्पा सिंघी , कटक
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