*पुखराज पथिक
जीवन में आया है तो सदा मुस्कराता चल ,
शूल मिले गर राह मे उनको तू हटाता चल ।
नफ़रतों से न कुछ हासिल होगा अब यहाँ,
प्रेम के दीप जला रोशनी बिखराता चल ।
कामयाबी होगी एक दिन कदमों में तेरे ,
बस दुनियां को अपना बनाता ही चल।
जख्म ये कही नासूर न बन जाएं कही,
प्यार का मरहम उस पर लगाता चल ,
सारे गमों को अपने भूल जा अब तू
गीत खुशियों के सदा गुनगुनाता चल ।
रिश्ते बामुश्किल से मिलते जमाने में ,
चाहे जैसे भी हो बस उनको निभाता चल ।
भटका हो पथिक गर राह से कोई ,
मंजिल तक उसको तू पहुंचाता चल ।
खामियां ओरो में ढूंढना बंद भी कर,
खामियां अपनी सबको बताता चल ।
*पुखराज पथिक, नागदा
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