*अशोक 'आनन'
सर्द हवाएं -
सही न जाएं ।
दूर - दूर तक -
पसरा कोहरा ।
सूरज लगता -
सिहरा - सिहरा ।
पीर दूब की -
कही न जाए ।
नंगा तन ये -
बूंदा - बांदी ।
ठंडे चूल्हे -
रीती हांडी ।
दिन भर ठिठुरन -
मुई न जाए ।
बंद हुए सब -
द्वार घरों के ।
तन बर्फ हुए -
मन पत्थरों के ।
बूंद प्यार की -
चुई न जाए ।
*अशोक 'आनन', मक्सी, जिला-शाजापुर
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