*सरिता सरस
खुद को अपना गीत लिखूंगी
मैं एक सुन्दर गीत लिखूंगी
हूँ नदी मैं
देखती कण कण में तुम हो
कबीर के रहस्यवाद में पढ़ी तुमको
मीरा के प्रेम में निर्झर बहे
अनहद नाद के प्रणेता
तुमको ही संगीत लिखूंगी
मैं एक सुन्दर गीत लिखूंगी
इस नदी की शांत लहरों में
खिल उठे हैं
नन्हें नन्हें पद चिन्ह तुम्हारे
कि जैसे आत्मा के फूल
लो उलीचती हूँ अस्तित्व अपना
ओम की झंकार ध्वनि में
तुम पर ही सब प्रीत लिखूंगी
मैं एक सुन्दर गीत लिखूंगी
*सरिता सरस
गाँव-रसूलपुर, गोरखपुर
उत्तर प्रदेश
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