*विजय कनौजिया*
तुम मानो या न मानो
मैंने तो अपना माना है
तुम चाहो या न चाहो
मैंने तो तुमको चाहा है..।।
हर स्मृतियों में तेरी ही
यादों को खूब संभाला है
तुम याद भले ही न करना
मुझको तो याद दिलाना है..।।
अभिलाषा के हर पन्ने पर
बस तेरा नाम उकेरा है
हर पृष्ठ सुसज्जित तुमसे है
तुमको बस इसे सजाना है..।।
आधार मेरे जीवन का हो
आभार मेरा स्वीकार करो
तुम साथ हमेशा मेरे हो
बस ये आभास कराना है..।।
तुम मानो या न मानो
मैंने तो अपना माना है
तुम चाहो या न चाहो
मैंने तो तुमको चाहा है..।।
मैंने तो तुमको चाहा है..।।
*विजय कनौजिया
ग्राम व पत्रालय-काही
जनपद-अम्बेडकर नगर (उ0 प्र0)
मो 09818884701
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