*माया मालवेन्द्र बदेका*
ले एक अवतार फिर तू नारी ,ले एक अवतार।
बन चंडी बन फिर कालिका ,फिर से भर हुंकार।
अब रक्तबीज के टुकड़े ना करना, लहू से और फैलेंगे।
बढ़ते जायेंगे यह पापी, अस्मत से फिर यह खेलेंगे।
अरे लगा आग इनकी लंका में ,बन जा फिर अंगार।
ले एक अवतार फिर तू नारी ,ले एक अवतार।
बन चंडी बन फिर कालिका ,फिर से भर हुंकार।
आज अगर इनको छोड़ा, कल तुझे नहीं छोड़ेंगे।
तेरा भरोसा और विश्वास ,यह कल फिर तोड़ेंगे।
मरघट में जला इन्हें गाड़ कब्र में ,कोड़े लगा हजार।
ले एक अवतार फिर तू नारी, ले एक अवतार।
बन चंडी बन फिर कालिका, फिर से भर हुंकार।
*माया मालवेन्द्र बदेका, उज्जैन
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