शब्दों की पगडंडियाँ में कवि राजेन्द्र प्रसाद जोशी ने अस्सी पृष्ठों में 68 कविताओं को पिरोया है । उनकी लिखी हर रचना ने गागर में सागर भरने का सराहनीय प्रयास किया है । कविताओं में कवि की दृष्टि प्रकृति , समाज , देश , राष्ट्र, जीवन के गीत , नैतिकता , संबंध, जीवन प्रेम सेवा , मां, बचपन, भूख , शोषण , भ्रष्टाचार कहने का अर्थ यह हैं कि कवि अपने समाज, अपने तंत्र व जीवन के इर्द गिर्द व्याप्त विषय तत्वों की कहीं भी अनदेखी नही करता ।
कवि राजेन्द्र प्रसाद जोशी ने यह काव्य संग्रह अपने पिता स्व0 मोहन लाल जोशी को समर्पित किया है । संकलन की कविताओं का विषय फलक बहुत व्यापक है । धर्म अध्यात्म, देश प्रेम का आज जो पाखंड देश में दिख रहा है उस पर कवि जोशी ने बडी कुशलता से प्रहार किया है । जोशी की सोच बचपन से ही साहित्य के इर्द गिर्द घूमती रही हैं । उनकी सभी रचनाएँ राष्ट्रीय भावनाओं से ओत प्रोत है । वही उनका प्रयास सराहनीय व वंदनीय है ।
कवि जोशी की सभी कविताएं सराहनीय है वही बोझ समझकर , कठपुतली, सत्य की साधना , फूल की सार्थकता, बचपन कहां खो गया , बदल गये हम , मां, कृष्णमय हो गई जैसी कविताओं को तो बार बार पढने को मन करता है । इसका अर्थ यह न समझे कि अन्य रचनाएँ कमजोर है । सभी रचनाएँ राष्ट्रीय भावनाओं से ओत प्रोत है । कवि जोशी ने जीवन के हर पहलू को नजदीक से अनुभव कर अपनी ठनठनी लेखनी के माध्यम से समाज के समक्ष प्रस्तुत कर उसे न केवल चिंतन मनन के लिए झकझोडा है वरन् जीवन में आत्मसात के लिए भी विवश किया है ।
पुस्तक प्रकाशन में जोशी के परिजनो , मित्रों का भी सराहनीय योगदान रहा है । वही वरिष्ठ साहित्यकार दीपचन्द सुथार का भी मार्गदर्शन मिला है तथा पुस्तक की भूमिका डाॅ रामचन्द्र दाधिच ने लिखी है । कुल मिलाकर इस काव्य संग्रह से युवापीढ़ी को नई दिशा मिलेगी । कवि राजेन्द्र प्रसाद जोशी स्वयं एक अच्छे कवि व लेखक है जिनकी रचनाएँ विभिन्न पत्र पत्रिकाओ में प्रकाशित होती ही रहती है । जोशी राष्ट्रभाषा सम्मान, हिन्दी सेवा सम्मान व साहित्य मणि सम्मान से सम्मानित हो चुके है । इन्हें चिंतन मनन अपने पिता से विरासत में मिला है यही वजह है कि विज्ञान का विधार्थी होकर भी नर्सिंग कार्य के साथ साहित्य के क्षेत्र में भी अपनी महत्वपूर्ण सेवाएं दे रहे है जो समाज व राष्ट्र के लिए गर्व व गौरव की बात है ।
शब्दों की पगडंडियाँ ( काव्य संग्रह )
रचियता : राजेन्द्र प्रसाद जोशी
प्रकाशक : मीरा साहित्य संस्कृति एवं कला संस्थान , मेडता शहर , जिला नागौर , ( राजस्थान ) पिन 341510
पृष्ठ 80 मूल्य 100 रूपये
*सुनील कुमार माथुर ,33 वर्धमान नगर शोभावतो की ढाणी खेमे का कुआ पालरोड जोधपुर राजस्थान पिन 342001
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