*सुरेश शर्मा*
शब्दों के प्रवाह ने हमारे जीवन को ,
कभी व्यथित किया ,
तो कभी प्रफुल्लित किया ;
और कभी झकझोर के रख दिया ।
शब्दों के प्रवाह ने,
किसी के आंगन मे खुशियाॅ बिखेरी ,
तो किसी के आंगन को ही बिखेर दिया ;
और कभी तो डांवाडोल कर दिया ।
शब्दों के प्रवाह ने,
किसी को खूब हंसाया,
तो किसी को खूब रुलाया भी;
और कभी तो कही का भी छोड़ा नही ।
शब्दों के प्रवाह ने,
किसी के कोमल मन को सहलाया ,
तो कभी किसी के मन को लताड़ा भी ;
और कभी तो तार -तार करके भी नही छोड़ा ।
शबदों के प्रवाह ने ,
किसी के जीवन को उजाड़ा ,
तो किसी को सुन्दर से बसाया भी ।
और किसी को तो तीतर - वितर करके छोरा ।
शब्दों के प्रवाह ने ,
किसी को पूजना सिखाया ,
तो किसी को नफरत करना ।
और किसी को तो गर्त मे ढकेल कर छोरा ।
शब्दो के प्रवाह ने ,
किसी के जेहन मे जहर घोला
तो किसी मे मधू -सी मिठास ।
और किसी को तो आजीवन कड़वा बना दिया ।
शब्दो के कड़वे और कोमल प्रवाह ने
बड़ी ही अहम भूमिका निभाई है
हमारे महत्वपूर्ण जीवन मे ।
शव्द -प्रवाह के कठोर प्रहार ने
मनुष्य के जीवन पर जीने का आज,
अर्थ ही बदल के रख दिया है
*सुरेश शर्मा,नूनमाटी, गुवाहाटी,आसाम
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