*अजय कुमार द्विवेदी*
राम नाम जब आता है,तो अंधकार छट जाता है।
डूबती नैया पार लगे,माझी भी पार हो जाता है।
पर इस कलियुग में रामचंद्र को,अंधकार ने घेरा था।
सदियों भटके कचहरियों में पर,होता नहीं सबेरा था।
सदियों बाद ही चालों सहीं,आज अयोध्या तो मुस्काई है।
अयोध्या के बागों में आज फिर,कलियाँ कई खिल आईं है।
खत्म हुआ बनवास राम का,राम अयोध्या आये हैं।
एक अरसे के बाद सीया संग,राम लखन मुस्काये हैं।
पाँच जजों की बेंच ने आखिर,कर दिया बड़ा कमाल।
अयोध्या की गलियों में राम संग,उड़ायेंगें हम गुलाल।
होली अबके वहीं मनेगी , दिवाली के दीप जलायेंगें।
सीया राम जी और लक्ष्मण संग,मिलकर खुशी मनाएंगे।
राष्ट्र हित के लिए जरूरी , था कि राम को न्याय मिले।
पर सोचना था ए भी जज को,ना किसी को भी अन्याय मिले।
उच्च न्यायालय ने आखिर में,अच्छा करतब दिखलाया।
राम नाम का परचम पूरे , विश्व में लहराया।
सिर्फ राम को न्याय मिला है,ना कोई जीता है ना हारा है।
हम सबका है एक ही नारा , भारत हमको प्यारा है।
अब समझना हमको है बस,ना कोई अपवाद हो।
हम सब मिलकर रहें प्रेम से,आपस में सौहार्द हो।
*अजय कुमार द्विवेदी, E-4/347, Gali No-8, 4th Pusta, Soniya Vihar Delhi ,Mo. No - 8800677255/7011782191
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