*अशोक 'आनन'*
पहुंचकर
शहरी हुई -
गांव की पानीदार नदी ।
किसे सुनाए
सुनें न कोई -
उसके मन का दुखड़ा ।
उसके अपनों ने ही
उससे मोड़ लिया
अपना मुखड़ा ।
रेतकर
फरार हुई -
नाव की पानीदार नदी ।
जीवन उनका
खतरे में है -
जीवन जिनका पानी है ।
दो अक्षर में ही
छुपी हुई है -
जीवन की राम कहानी ।
खौलकर
लावा हुई -
पांव की पानीदार नदी ।
संस्कृति की है संवाहक जो
जल का स्त्रोत -
बनकर रह गई ।
संस्कारों की व्यथा -कथा को
इसकी चुप्पी -
स्वत: कह गई ।
शर्म से
पानी हुई -
आब की पानीदार नदी। ।
*अशोक 'आनन 'मक्सी,शाजापुर (म.प्र.),मो नं :9981240575
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