*राजीव डोगरा*
पुरानी तस्वीरों के साथ
कुछ नए जज्बात लिखूंगा,
जो तूने
सोचा भी नहीं था कभी
वो हर चीज
अपनी तकदीर में लिखूंगा।
छोड़ दूँगा उन
हाथों की लकीरों को देखना
जो मेरी
तकदीर में नहीं।
खुदा का फकीर बन
हर चीज उससे मांग कर
अपने नसीब में लिखूंगा।
छोड़ दूंगा लोगों से
मोहब्बत की
दर-दर भीख मांगना।
इश्क कर उस रब से
मोहब्बत को उसकी
अपने नाम लिखूंगा।
*राजीव डोगरा,ठाकुरद्वारा।
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