*डॉ साधना गुप्ता*
मैं भारत की नारी,नव श्रंगार किया है
तज विगत बन्धन, नव सन्देश दिया है
जननी, बेटी, बहन,सहचरी संग,पथ सन्धान किया है
मस्तक पर मेरे जय सिन्दूर, आशा की बिंदी है शोभित
नयनों में निर्भय-अंजन,पावन ज्योति बना है
अधरों पर सत्य ललाई बन,मन्द मुस्कान के संग खिला
हाथों में कर्मठता के कंगन,बजते रहते कर मधुर ध्वनि
झट-पट करने की चाह आज,पैरों में पायल की रूनझुन
यह कर श्रंगार आज मैं, स्फूर्ति से रहती सजी धजी
मैं भारत की नारी,नव श्रंगार किया है
*डॉ साधना गुप्ता,झालावाड़, मो.9530350325
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