*हमीद कानपुरी*
काम कर ये बड़ा आशिक़ी के लिए।
छोड़ दे कुल जहां अब किसी के लिए।
चाहता हूँ जिसे अब मिले वो सनम,
है ज़रूरी बहुत ज़िन्दग़ी के लिए।
काम कोई भी हो आज के दौर में,
गै़र मुमकिन नहीं आदमी के लिए।
लफ्ज़ ही जोड़ लेना नहीं शायरी,
भाव अच्छे रखो शायरी के लिए।
काम उम्दा किया फायदा उसका दो,
जब सज़ा दे रहे हो कमी के लिए।
जो हैं कमज़र्फउनके न बसकाहमीद,
दिल बड़ा चाहिए आशिकी के लिए।
*हमीद कानपुरी
(अब्दुल हमीद इदरीसी)
179, मीरपुर, कैण्ट, कानपुर-208004
9795772415
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