*डॉ साधना गुप्ता*
रखा कदम स्कूल में ,भोलापन छूट गया
कॉलेज में जाते ही,अनुशासन छूट गया
बदले कलेण्डर दीवारों से,बचपन छूट गया
रोजगार मिलते ही,फिजूलखर्ची छूट गयी
आयी जो जिम्मेदारी तो,बपरवाही छूट गयी
बढ़ते रहे कदम आगे,जीवन छूट गया
रह गयी गणित शेष,सहचर छूट गया
तब क्यों दौड़ रहा इनसान, सब तो छूट गया
किया जो आत्मविकास, तब बन्धन छूट गया
*डॉ साधना गुप्ता,मंगलपुरा, टेक, झालवाड़,326001राजस्थान
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