*नवीन माथुर पंचोली*
पास रहती है जब रवानी कुछ।
मौज लगती है जिंदगानी कुछ।
हैं अगर साथ-साथ हम -अपने,
याद आती है फिर कहानी कुछ।
देखते ही वो जान लेते हैं,
साथ रहती है जब निशानी कुछ।
इश्क़ के क़ायदे पले फिर भी,
आग तन की पड़ी बुझानी कुछ।
दिल ने जिस हाल एतराज किया,
बात चलती रही ज़ुबानी कुछ।
कल नई बात जो सुनी हमने,
आज लगती है वो पुरानी कुछ।
*नवीन माथुर पंचोली,अमझेरा धार मप्र मो.9893119724
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