सम्राट विक्रमादित्य के मूर्ति शिल्प, विक्रमादित्य एवं उनके नवरत्नों और शलाका पुरुषों के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित करने वालों में कुलसचिव डाँ. डी.के. बग्गा, पूर्व डीएसडब्ल्यू डॉ राकेश ढंड, डीसीडीसी प्रो. देवेंद्र मोहन कुमावत, कुलानुशासक प्रो. शैलेन्द्रकुमार शर्मा, डीएसडब्ल्यू डॉ रामकुमार अहिरवार, डॉ अनिल जैन, डॉ उमेशकुमार सिंह, डॉ डी डी बेदिया, डॉ धर्मेंद्र मेहता, डॉ आर के बघेल, डॉ कमलेश दशोरा, डॉ स्वाति दुबे, डॉ रूबल वर्मा, डॉ राजेश टेलर, डॉ गणपत अहिरवार, श्री विपुल मईवाल, आदि सहित अनेक शिक्षक, अधिकारी, कर्मचारी एवं विद्यार्थीगण शामिल थे। वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ पूजन डॉ महेंद्र पंड्या एवं पं गोपालकृष्ण शुक्ल ने करवाया।
उल्लेखनीय है कि युगों-युगों से उज्जैन शिक्षा प्राप्त करने को उत्कंठित विद्यार्थियों को आकर्षित करता आ रहा है। इसी दृष्टि से आजादी के आंदोलन के समानांतर उज्जैन में विश्वविद्यालय की स्थापना के लिये वातावरण बनने लगा था, जिसमें इस अंचल के अनेक बुद्धिजीवी और गणमान्यजन की अविस्मरणीय भूमिका रही है। आजादी मिलने के बाद यह सपना साकार हुआ और कार्तिक कृष्ण चतुर्थी, विक्रम संवत 2013 तदनुसार 23 अक्टूबर, 1956 को विश्वविद्यालय की आधारशिला रखी गई थी। कार्तिक कृष्ण चतुर्थी के पावन अवसर पर विश्वविद्यालय का आधारशिला दिवस मनाया जाता है।
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