*अंकुर सहाय "अंकुर'
तेरे दिल में मेरा मकां हो रहा है ।।
ये सच है कि या बस गुमां हो रहा है ।।
चले थे सुनाने जो चाहत के किस्से -
हर इक लफ्ज़ अब बेजुबां हो रहा है ।।
न कहना कि तुमसे मोहब्बत हे कितनी-
नजर से हि सबकुछ बयां हो रहा है ।।
चली है मिलन को ,जो शब चन्द्रमा से
ये दिलकश समूचा जहां हो रहा है ।।
लगी आग जीवन में 'अंकुर' की ऐसे ,
न जलता है तन ,बस धुआ हो रहा है ।।
*अंकुर सहाय "अंकुर' खजुरी,जिला- आज़मगढ़ मो. 9454799898
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