*प्रो.शरद नारायण खरे*
दीवार उठाने की सियासत न कीजिए ,
सच बोलूंगा ज़रूर शिकायत न कीजिए
जो प्यार के संसार में,कांटों को बिखेरे,
ऐसी तो मिरे भाई इनायत न कीजिए
कल का जहाँ क्यों आज से झगड़ों में ही रहे,
जो बांट दे दिलों को वसीयत न कीजिए
ये मुल्क़ मुहब्बत का इक चमन था दोस्तो,
मज़हब सँभाल, मैली विरासत न कीजिए
पश्चिम से आके दस्तक़ें,देती हैं तबाही,
निज व्दार खोल उनकी इबादत न कीजिए
इंसानियत के दायरे के पार हो " शरद",
ऐसी तो आप मुझसे अदावत न कीजिए
*प्रो.शरद नारायण खरे ,मंडला(म.प्र.)मो.9425484382
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