*नवीन माथुर पंचोली*
दिखा दो हौसलों अंजाम अपने।
सँवर जायेंगे फिर से काम अपने।
हवा उनको ज़रा सा छेड़ दे तो,
घटाएँ छोड़ दे आराम अपने।
सदाएँ, इल्तिज़ाएं और दुआएँ,
यही है अब हँसी पैगाम अपने।
जिन्हें पाया है हमने हसरतों से,
वही सच्चे हैं सब इनाम अपने।
सितारे, चाँद,सूरज और समंदर,
कि जैसे हैं सभी अब नाम अपने।
*नवीन माथुर पंचोली, अमझेरा धार (म.प्र) मो.9893119724
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