*अजय कुमार दिवेदी*
जग में भगवान को न देखा कभी।।
मेरी माँ ने है दी मुझको खुशियां सभी।।
याद आते हैं अपने वो बचपन के दिन।
पेट भरती मेरा माँ खुद खाएं बिन।
चैन से सो सकूँ मै इसी चाह में।
माँ ने जग कर बिताई अपनी रातें सभी।
जग में भगवान को न देखा कभी।।
मेरी माँ ने है दी मुझको खुशियां सभी।।
मेरी हर एक शरारत छुपाती थी माँ।
मुझको हँसकर गले से लगाती थी माँ।
भूल कर अपने जीवन के हर एक गम।
हर घड़ी बस मुझको हँसाती थी माँ।
न कोई शिकवा किया मुझसे माँ ने कभी।
मेरी माँ ने है दी मुझको खुशियां सभी।।
जग में भगवान को न देखा कभी।।
धूप से माँ का आँचल बचाता मुझे।
बारिश में भी आँचल छुपाता मुझे।
सबसे प्यारी है जग में तो बस मेरी माँ।
है मेरे लिए मेरी रब मेरी माँ।
माँ पे कुर्बान है अब मेरी जिन्दगी।
जग में भगवान को न देखा कभी।।
मेरी माँ ने है दी मुझको खुशियां सभी।।
*अजय कुमार दिवेदी,दिल्ली
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