*पुखराज जैन पथिक*
मैंने इस दिल को काँटो से सजा रखा हैं
अपने दुश्मन को गलिचों पे सुला रखा हैं।
नजर न लगे किसी साकी की मय तुझको
इसलिए तुझको बोतल में छिपा रखा हैं।
तेरी बेवफाई भी मंजूर है मेरे यार मुझको
तेरे वादो को पलको में बिठा रखा हैं।
तेरे बिना जी लेंगे जमाने में हम तो
तेरी सूरत को ही दिल में बसा रखा हैं।
आस कहती हैं लौट कर आएगी तु फिर
दिल में उम्मीद का चिराग जला रखा हैं।
*पुखराज जैन पथिक भाटीसुडा नागदा मो. 9399038277
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