*डॉ प्रतिभा सिंह*
जिंदगी के पन्नों पर कैसी ये कहानी हैं
होठ मुस्कराते हैं और आँखों में पानी है।
तेरे दिल की गलियों में मन मेरा बहकता है
खुशबू बनके यादों में गुल कोई महकता है
बारिशों की बूंदों पर तेरी ही निशानी है
होठ मुस्कराते हैं और आँखों में पानी है।
शाम जब हुई तो शमा सोचती है जलते हुए
तारों को निकलते हुए और सूरज को ढलते हुए
रोज जलके बुझना भी कैसी जिंदगानी है
होठ मुस्कराते हैं और आँखों में पानी है।
सूखे- सूखे होठों की प्यास तो बुझाए ना
ख्वाब सारी नदियों का फिर भी मुस्कराए ना
सागर तेरी मौजों की कैसी ये रवानी है
जिंदगी के पन्नों पर कैसी ये कहानी है
होठ मुस्कराते हैं और आँखों में पानी है।।
*डॉ प्रतिभा सिंह,किशुनपुरा ,आजमगढ़ मो .8795218771
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