*शिशिर उपाध्याय*
गांधी बाबा पाछा आओ ,,,,
गांधी बाबा पाछा आओ,
गांधी बाबा पाछा आओ
जन मानस का हिवड़ा न s म s
परेम को दियो जलाओ ,,,
थारा देस का भाई - भाई ,
वात -वात म s लड़ी रह्या ,
जात-पात अन धरम का नॉव सी
आपस म s ऊ भिड़ी रह्या,
"देस धरम" सी बड़ो नी कोई
आई न s तुम समझाओ ,,, गांधी बाबा पाछा आओ
चरड़ ,चरड़, चड़ चरखो बी तो
थारा देस सी रूठी गयो ,
सूत - कपास न s तकली वाळो
रिश्तो - नातो टुटी गयो ,
गुता -पात छे , देस तुम्हारो
आई न s तुम सुलझाओ , गांधी बाबा पाछा आओ
अवतारी था "गांधी बाबा"
भारत भाग्य विधाता था
रोज सांझ की प्राथना म s
रघुपति राघव गावता था,
"वैष्णव जन तो तेने कहिये"
सबई मिली न s गाओ ,, गांधी बाबा पाछा आओ
*शिशिर उपाध्याय , बड़वाह(म.प्र) मो.9926021858
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