*प्रो.शरद नारायण खरे*
दीपक ने फिर नग़मे गाये,उजियारा हर्षाया ।
रोशनियों के दिन आये हैं,अँधियारा घबराया ।।
समाचार खुशियों के फैले
सूरज हरकारा है
अपनेपन औ' नेह-प्रीति का
अब तो जयकारा है
आतिशबाज़ी ने हौले से,सबका साथ निभाया ।
झंझावातों में जलकर भी,दीपक है मुस्काया ।।
माहिष्मती में धूम मची है
हर इक है उल्लासित
गली-मोहल्ला/सारी बस्ती
आज हुये आह्लादित
महल,झोंपड़ी चहक रहे सब,सबने मंगल गाया ।
पर्व सात्विक,चंदन-वंदन,हर इक जन को भाया ।।
मैैहरवाली माँ ने सबको
दिया नवल वरदान
है आलोकित हर घर-आँगन
लक्ष्मी का जयगान
अपनेपन के सुर बिखरे हैं,हर पल है मुस्काया ।
दीपपर्व का अभिनंदन है,उजियारा हर्षाया ।।
*प्रो.शरद नारायण खरे,मंडला (मप्र) मो.9425484382
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