महाराज विक्रमादित्य की कुलदेवी माता हरसिद्धि
उज्जैन। महाकाल की नगरी के रूप में विश्व विख्यात अवंति नगरी एक धार्मिक एवं पौराणिक नगरी है। यहॉ पर हरसिद्धि शक्तिपीठ की अलग ही विशेषता है । इस विशेषता के कारण हजारों लोग यहॉ प्रतिदिन शक्ति पीठ में दर्शन करने आते हैं नवरात्रि में इस स्थान का स्वरूप अद्भूत होता है।
पौराणिक मान्यतानुसार माता सती के जहां-जहां अंग गिरे, वहां शक्तिपीठ के रूप में स्थापना हुई। धर्मग्रंथों में कुल 51 शक्तिपीठों की मान्यता है। इन्हीं शक्तिपीठों में एक हैं माता हरसिद्धि हैं। यहां माता सती की कोहनी गिरी थी। इनका मंदिर मध्यप्रदेश के उज्जैन और गुजरात के द्वारका दोनों जगह स्थित हैं। माता की सुबह की पूजा गुजरात में और रात की पूजा उज्जैन में होती है।
माता का मूल मंदिर गुजरात में मूल द्वारिका के मार्ग में स्थित है। यहीं से महाराज विक्रमादित्य इन्हें प्रसन्न करके अपने साथ उज्जैन ले गए थे। इस बात का प्रमाण है दोनों माता मंदिर में देवी का पृष्ठ भाग एक जैसा है। मंदिर को लेकर कई पौराणिक कथाएं हैं। मान्यता है कि उज्जैन के सम्राट विक्रमादित्य की यह कुलदेवी हैं और वे ही उनकी पूजा किया करते थे।
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