*कमलेश व्यास 'कमल'*
तर्पण धूप निवाले रखना
भावुकता पर ताले रखना।
जीने में आसानी होगी
कुछ साथी मतवाले रखना।
मुश्किल है अब इन ज़ख्मों से
आँसू बाले-बाले रखना।
"इसमें तेरी भी ग़लती है "
ऐसा कहने वाले रखना।
जितनी ख़ुशियाँ,घर में उतने
छोटे-छोटे आले रखना।
बंद करो अब शहरी लोगों
माले ऊपर माले रखना।
लिखने में आसानी होगी
घटनाओं को पाले रखना।
मत करना तुम बेघर इनको
बूढ़े,बैठे-ठाले रखना।
दुख के कीट पतंगे मरते
मुस्कानो के जाले रखना।
आँखों की सुंदरता बढ़ती
सुरमा यूँ हीं डाले रखना।
मरते दम तक मित्र 'कमल' तुम
सपने भोले-भाले रखना।
*कमलेश व्यास 'कमल'उज्जैन
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