-कल्याणी कबीर
अगर प्रेम में डूब कर लिखना है
तो मत लिखो,
अगर गम से ऊबकर लिखना है
तो मत लिखो,
मत लिखो इसलिए कि
वाहवाही के पल मिले,
मत लिखो इसलिए कि
तानाशाही को बल मिले,
लिखो तब कि जब
दर्द में उबाल पैदा हो,
लिखो तब कि जब
खुद पर ही सवाल पैदा हो,
तब लिखो जब लिखना
जीने की जरूरत हो,
तब लिखो जब लिखना
सच्चाई की सूरत हो,
ये ठान कर लिखो कि
कवि - कर्म रहे ज़िंदा,
ये मान कर लिखो कि
शब्द-धर्म रहे ज़िंदा !!
0 टिप्पणियाँ