*श्वेतांक कुमार सिंह*
जितना हो सका
चीखा भी, चिल्लाया भी
अपने हिस्से की
खौलती आवाज उठाया भी
अब तुम्हारी बारी है
तुम्हारे कंधे पर भी
कुछ जिम्मेदारी है
मालूम है
इस बस्ती में
लोगों के कान नहीं हैं
जो सुनते भी हैं
उनकी जुबान नहीं है
फिर भी
सुबह की धूप
यहाँ भी आनी चाहिए
आवाज देर से ही सही
पर धीरे-धीरे
दिल तक जानी चाहिए
वो सुन रहे हैं
अभी ख़्वाब की बातें
पर
तुम भी सुनाते रहो
हर हाल में
असली तस्वीर
समझ में आनी चाहिए।।
*श्वेतांक कुमार सिंह,(प्रदेश संयोजक NVNU फाउंडेशन),बलिया,उ.प्र.मो-- 8318983664
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