*श्राद्ध भोज :: महात्म्य व सावधानियां*
*बी. एल. व्यास (उज्जैन)
सत्य सनातन धर्म का, हो जो निष्ठावान।
ऐसे जन को श्राद्ध मे, परसो तुम पकवान।।
नित्य नियम संध्या करे, गायत्री का जाप।
ऐसा विप्र जिमाइये,मिट जाए संताप।।
जो निन्दक हो विप्र का, या फिर चुगलीखोर ।
ऐसे को मत डालिए, इक पूड़ी का कोर।।
गाय कभी पाले नहीं, नहीं खिलाये घास।
उनको अपनी खीर की, मत आने दो बास।।
कर्मकाण्ड करता नहीं, ना ही पूजा पाठ।
ऐसे जन को श्राद्ध मे, दूर दिखाओ बाट।।
गोघृत मे पूरी तलो, शुद्ध बनाओ खीर।
धूपध्यान विधिवत करो, हो करके गम्भीर।।
प्रेम सहित भोजन करें, लम्बी मार डकार।
उचित दक्षिणा दीजिए, करि करि के मनुहार।।
मन का भोला विप्र हो, गहरा-मन यजमान।
निश्चित होगा श्राद्ध से, जीवन मे कल्याण।।
लम्पट लोभी लालची, चाहे हो विद्वान।
ऐसे जन को श्राद्ध मे, दूर रखो यजमान।।
श्राद्ध पक्ष में पितृगण,करते हमसे आस।
ब्रह्मभोज करवाइये, रख श्रद्धा विश्वास।।
*बी. एल. व्यास (उज्जैन)
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