*सरिता गुप्ता*
कोई आंसू लिखता मुझ पर
कोई लिखता है मुस्कान ।
कहने को मैं कोरा कागज,
पर बनता सबका अरमान ।।
गोरी लिखती आओ साजन,
याद में जल जल जीती हूंँ।
रात रात भर करवट बदलूं
नीर नयन में पीती हूंँ।
तुम बिन सूना मेरा सावन,
तुम बिन सूने हैं त्योहार ।
आंँख लगी है दर पर मेरी
जल्दी से आना इस बार।।
सबके मन की पीड़ा को मैं
अंतर्मन से सहता हूंँ।
सबकी मजबूरी भी समझूंँ
पर मैं कुछ नहीं कहता हूंँ।।
सबके मन की पीड़ा सुनकर
रात रात भर जगता हूंँ ।
छुप छुप कर आँसू को पीता,
दुआ यह सब की करता हूंँ।।
लिखें सभी यहां गीत प्रेम के,
तपे न कोई विरह की आग।
साजन के संग सावन बीते ,
साजन के संग बीते फाग।।
जब साजन लिखते हैं गोरी ,
जल्दी से मैं आता हूंँ।
पंख लगा कर मैं पंछी सा,
खत बनकर उड़ आता हूंँ।
जब गोरी शरमा कर लिखती,
खुशियां आने वाली हैं,
ऐसा लगता है जीवन में,
हो गई मेरी दिवाली है।।
मुझे न समझो तुम एक कागज ,
मुझसे करते हैं सब प्यार।
जब तन्हाई डसती सबको,
मैं ही बनता हूंँ आधार।।
*सरिता गुप्ता,सी -764 एल आई जी फ्लैट्स,ईस्ट ऑफ लोनी रोड,शाहदरा दिल्ली मो.9811679001
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