*सोनी जैन*
ज़िद (perseverance)एक ऐसा शब्द है जिससे हम सभी वाकिफ हैं लेकिन दोस्तों जिद को अक्सर हम नकारात्मक रूप में ही लेते हैं। परन्तु वास्तव में जिद ही हमारी सफलता का मूल मंत्र है।
आज तक दुनिया में जितने भी सफल लोग हुए हैं उन सभी ने जिद करके ठान लिया कि कुछ बड़ा करके दिखाना है और उन्होंने करके दिखाया भी जैसे पीवी सिंधु,मैरीकॉम, अरुणिमा सिन्हा,मिल्खा सिंह, महेंद्र सिंह धोनी, जीतन राम मांझी रानी, लक्ष्मीबाई नेल्सन मंडेला, अलोन मक्स, स्टीव जॉब आदि ऐसे न जाने कितने ही उदाहरण हैं जिन्होंने ज़िद करके इतिहास रच दिया।
परंतु सवाल उठता है कि जिद करने से हम सफल कैसे हो सकते हैं। इस सवाल का जवाब पाने के लिए वैज्ञानिक एवं मनोवैज्ञानिक दोनों ही दृष्टिकोणों से समझना होगा।वैज्ञानिक रूप से हमारे शरीर का संपूर्ण नियंत्रण हमारे मस्तिष्क(Brain) के पास होता है जैसा मस्तिष्क आदेश देता है हमारा शरीर वैसे ही काम करता है।परंतु हमारा शरीर मात्र जैविक(Biological)आधार पर ही कार्य नहीं करता तभी तो हमें ठंडा गरम खट्टा मीठा दर्द पीड़ा के अतिरिक्त प्यार, सहानुभूति,घृणा,क्रोध, तिरस्कार आदि अनेको संवेगो(Emotions) की अनुभूति होती है।
फ्राइड(Freud) एक महान मनोवैज्ञानिक थे जिन्होंने मस्तिष्क किस प्रकार कार्य करता है पर काफी कार्य किया। उन्होंने मस्तिष्क को मुख्य रूप से दो भागों में बांटा चेतन मन(conscious mind) और अचेतन मन(Unconscious mind)।चेतन मन मस्तिष्क का एक बहुत छोटा सा ऊपरी भाग होता है जहां हमारे वर्तमान कार्यों से संबंधित सभी विचार इच्छाएं और अनुभव होते हैं। जैसे अभी हम जो लेख पढ़ रहे हैं उसे संबंधित विचार और अनुभव हमारे चेतन मन का विषय है।
अचेतन मन हमारे ब्रेन का बहुत बड़ा और महत्वपूर्ण भाग होता है। अचेतन मन में जीवन भर जमा किए गए विचार,अनुभव, ज्ञान ,इच्छाएं और विश्वास आदि शामिल होते हैं जिनके आधार पर ही व्यक्ति का व्यक्तित्व बनता है। हमारा व्यक्तित्व कैसा होगा यह हमारे ऊपर ही निर्भर करता है जिस प्रकार की सोच और इच्छाओं को हम अपने अचेतन मन में रोपेंगे वैसे ही परिणाम हमें मिलेंगे।अगर हमारी सोच और इच्छाएं सकारात्मक है तो हमारा व्यक्तित्व सकारात्मक होगा और यदि हम हमेशा निराशा और असफलता के बारे में ही विचार करेंगे तो हमारा व्यक्तित्व भी नकारात्मक होगा ।
दोस्तो हमारा मस्तिष्क कंप्यूटर की तरह से काम करता है।जिस प्रकार कंप्यूटर का सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट(cpu) होता है जो कि सभी सूचनाओं को प्रोसेस करके हमारे लिए रिज़ल्ट्स तैयार करता है।जबकि मॉनिटर या अन्य यंत्र मात्र हमें उस रिजल्ट को जानने में मदद करते हैं । इसी प्रकार हमें जब किसी विषय पर फैसला लेना होता है तो अचेतन मन में जितने भी विचार, भावनाएं, इच्छाएं ,विश्वास आदि समाहित होते हैं उन्हीं के आधार पर हम उस विषय से संबंधित निर्णय लेते हैं। उदाहरण स्वरूप यदि हम किसी आवश्यक कार्य से जा रहे हैं और बिल्ली रास्ता काट जाए तो ऐसे में यदि हमारा विश्वास होगा कि यह मात्र अंधविश्वास है तो हम आगे बढ़ जाएंगे और यदि हमारे अचेतन मन यह विश्वास घर कर गया है कि बिल्ली के रास्ता काट जाने से कार्य सफल नहीं होगा तो हम उसी के अनुसार निर्णय लेंगे।चेतन मन के द्वारा तो हम केबल उस निर्णय को जान पाएंगे।
चलिए अब लौटते हैं अपने मूल प्रश्न पर कि क्यों जिद करके कुछ लोग सफल हो जाते हैं और कुछ वहीं के वहीं रह जाते हैं। वास्तव में जिद से वही लोग सफल होते हैं जिनके पास जिद के पीछे दृढ विश्वास होता है जो की अचेतन मस्तिष्क के लिए सच्चाई बन जाता है और फिर वह दिन-रात ,सोते जागते ,खाते-पीते बिना थके इस विश्वास को पूरा करने में अपना सारा अर्जित ज्ञान और अनुभव लगा देता है।
दोस्तो अरुणिमा सिन्हा के बारे में आप में से बहुत से लोगों ने सुना होगा। जिनके पैर एक दुर्घटना में चले गए लेकिन उनकी जान किसी तरह से बच गई ।जान बचने के बाद अरुणिमा ने सोच लिया कि भगवान ने अब मुझे दोबारा जिंदगी दी है तो कुछ बड़ा करके दिखाऊंगी।औऱ उन्होंने जिद ठान ली कि मुझे तो अब एवरेस्ट ही फतह करना है।दोस्तो बिना पैर के एवरेस्ट फतह करने का सपना तो कोई पागल ही देख सकता है परंतु अरुणिमा ने इस जिद को पागलपन की हद तक जिया और अपने दृढ़ विश्वास के बल पर एवरेस्ट फतह कर गई।
पैडमैन कहे जाने वाले लक्ष्मीकांत जी जिन्होंने अपने पत्नी को माहवारी के दौरान होने वाली तकलीफों से बचाने की ठान ली और कोई अनुभव व शिक्षा ना होते हुए भी सारी समस्याओं को पीछे छोड़ते हुए अपनी ज़िद से वह कर दिखाया जो बड़ी-बड़ी कंपनियों के बस की बात नहीं थी।उन्होंने ना केवल अपनी पत्नी के बल्कि लाखों औरतों के जीवन में परिवर्तन ला कर रख दिया।
इसरो के वैज्ञानिकों ने जिद करके ठान ली कि हमे चीन से पहले पूर्णता स्वदेशी सैटेलाइट को हमें मंगल ग्रह पर भेजना है। बहुत परेशानियां आई बजट भी कम था लेकिन सारी ही कठिनाइयों को पीछे छोड़ते हुए 2014 में मंगलयान का प्रक्षेपण सफलतापूर्वक कर दिया गया और यह हमारे देश की एक बहुत बड़ी जीत थी।जिसके पीछे मात्र एक इरादा और दृढ़ विश्वास ही था।
दोस्तों जिद में जितना विश्वास पक्का होगा उतना ही सफलता का दायरा भी बड़ा होगा और इस सफलता को पूरा करने के लिए हमारा अचेतन मन बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। जब हम विश्वास के साथ जिद करते हैं तो हमारा अचेतन मन हमें एक ऐसी प्रेरक शक्ति(Motivational power)से भर देता है जिसके बाद हमारे सामने कोई समस्या समस्या नहीं रहती बल्कि उसके अनेकों समाधान हमारे सामने प्रस्तुत होते हैं हमें कुछ भी मुश्किल नहीं लगता।
दोस्तों law of Belief एक उतना ही सार्वभौमिक सत्य हैं जितना कि यह की हाइड्रोजन के दो परमाणु और ऑक्सीजन के एक परमाणु के मिलने से पानी बनता है या अगर धातुओं को गर्म किया जाए तो वह फैलती है।
दोस्तों हमारे अचेतन मन में वह सभी चीजें भी समाहित हो जाती हैं जो कि हम चेतन स्तर पर अनुभव भी नहीं कर पाते। जैसे कि यदि हम परीक्षा में प्रश्न पत्र हल कर रहे हैं तो हमारा सारा ध्यान उस प्रश्नपत्र को हल करने पर होता है परंतु आसपास क्या घटित हो रहा है उस पर चेतन मन ध्यान नहीं देता परंतु हमारे हमारी इंद्रियों के द्वारा जो भी चीजें महसूस की जाती हैं वह हमारे अचेतन मन का हिस्सा बन जाती हैं।
दोस्तों क्या आप ने महसूस किया जब हम कोई भाषा बोलते हैं तो बोलते समय यह ध्यान नहीं रखते कि कौन से शब्दों का हमें चयन करना है, व्याकरण के कौन-कौन से नियमों को यहां ध्यान रखना है बल्कि हम धारा प्रवाह अपने विचार उस भाषा में रखते चले जाते हैं। हमारे चेतन मन में उस समय मात्र अपने विचारों की प्रस्तुति ही महत्वपूर्ण होती है यदि हम सभी चीजें चेतन रूप में सोचकर बोलेंगे तो एक वाक्य बोलने में हमें कई मिनट या घंटे भी लग सकते हैं।जबकि ये सारी प्रक्रिया अचेतन रूप से चलती रहती है।
इसी प्रकार हमारे जीवन में कभी-कभी कुछ ऐसी अनैतिक इच्छाएं उत्पन्न हो जाती हैं जिनको हम किसी को नहीं बता सकते क्योंकि सामाजिक और कानूनी रूप से क्षमा योग्य नही होती है और व्यक्ति को अपनी बदनामी और दंड का भय लगा रहता है ऐसे में अपनी सभी अनैतिक इच्छाओं को दबा लेता है और वह अचेतन मन का हिस्सा बन जाती है और धीरे-धीरे व्यक्ति उनको भूल जाता है और अपने आप को शर्मनाक स्थिति से बचा लेता है।
दोस्तों अपनी सफलता- असफलता प्रसिद्धि या बदनामी, खुशी या दुख, प्रभावशाली व्यक्तित्व आदि सभी के जिम्मेदार हम स्वयं हैं। जिस प्रकार की इच्छाओं और विचारों के बीज हम अपने मस्तिष्क में रोपेंगे उसी प्रकार के परिणाम भी हमें मिलेंगे। वर्तमान समय मे तो law of belief और भी अधिक प्रासंगिक हो गया है क्योंकि हम यदि युवाओ की तरफ देखे तो प्रतियोगी परीक्षाओं में अच्छा करने का दबाब तथा कैरियर में सफलता की चिंता उनपर हमेशा हावी रहती है।दूसरी तरफ माता-पिता भी तनाव में आ जाते हैं और अपने बच्चों की तुलना औरो से करके अनावश्यक दबाव बनाते है।ऐसे में बच्चे अपनी नैसर्गिक प्रतिभा को भी खोने लगते है।
दोस्तो हर बच्चा पढ़ाई में अच्छा नही हो सकता परन्तु हर बच्चे में कोई ने कोई प्रतिभा अवश्य छिपी होती है बस जरूरत है तो पहचान कर निखारने की।ये तभी हो सकता है जब माता-पिता बच्चों का साथ दे।जो खूबिया उनमे है उनके लिए उनमे विश्वास जाग्रत कर आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करे।ऐसा करने से ना तो बच्चे कुंठित होंगे और ना दबाव में आयगे।जो प्रतिभाए कुदरत ने उन्हें दी है उनपर विश्वास करके जीवन मे मनचाही सफलताएं पा सकते है।
इसलिए दोस्तों अपने अचेतन मन को सकारात्मक विचारों और दृढ़ विश्वास से भर दीजिए और जूनून के साथ प्रयास कीजिये फिर देखिए आपके जीवन में कितने चमत्कार होते हैं।
क्योंकि....
*"अभी जानी नहीं है ताकत हमने अपने इस जिद्दी पन की।*
*ठान लिया तो कर जाएंगे*
*विश्वास के बल पर दुनिया जीत लाएंगे*
*सोनी जैन,1164 शीलकुँज,रुड़की रोड,जिला: मेरठ(उत्तरप्रदेश),मो. : 07351446698
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