- व्यग्र पाण्डे, गंगापुर सिटी (राज.)
भारत अपनी माँ है, और हिन्दी उसका प्यार
सुख-दुःख,हँसी-खुशी में जो करती हमें दुलार
स्वर-व्यंजन ऐसे रंजन,
मन को सदा भुहारे
मधुसिक्त ध्वनियों के सदा,
बहते रहे हैं धारें
गद्य-पद्य के दो किनारें, करें रूप साकार
भारत अपनी माँ है और हिन्दी उसका प्यार
पंजाबी गुजराती मराठी,
कोंकणी राजस्थानी
ध्वनियां सबकी एक,
लिपि में कुछ अंतर जानी
अभिव्यक्ति माँ के भावों की मन के जैसे तार
भारत मेरी माँ है, और हिन्दी उसका प्यार
- व्यग्र पाण्डे, गंगापुर सिटी (राज.)
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