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गौरी पूजन (लघुकथा)





*भारती शर्मा*

आशा ने सुनील को याद दिलाते हुए कहा कि, ' सुबह चार बजे का अलार्म लगा देना और तुम भी साथ ही उठ जाना। कल अष्टमी का पूजन है फिर बच्चों को भी ढूँढ कर लाना पड़ता है।' 

सुबह जल्दी उठकर आशा ने फटाफट नहा-धोकर खाना तैयार किया। दस वर्षीय गौरी, जो आशा के यहाँ काम किया करती थी, उसे भी आशा ने हाथ बँटाने के बुला लिया था। पूजा की सारी तैयारी होते ही सुनील काॅलोनी की सारी लड़कियों को इकट्ठा कर बुला लाया और सबको लाइन से बिठा दिया। आशा ने उनके माथे पर तिलक कर पैर छूए। फिर सुनील और आशा बच्चियों को खाना खिलाने लगे। घर के काम में जुटी भूखी गौरी का ध्यान बार-बार खाना खाते, खिलखिलाते बच्चों की ओर चला जाता था। तभी आशा ने उसे हलवे की प्लेट दे कर बच्चों की प्लेट में हलवा परोसने के लिए कहा। अचानक ही गौरी का पैर नीचे बिछी दरी में उलझा और वह मुँह के बल गिर पड़ी। सारा हलवा नीचे गिर गया। आशा ने गुस्से में आकर गौरी के दो ज़ोरदार थप्पड़ मारे और बड़बड़ाती हुई रसोई की तरफ चली गयी। सारे बच्चे सहम गये। गौरी आँसू पोंछते हुए फ़र्श साफ करने लगी। 

 

*भारती शर्मा ,स्ट्रीट-2, चन्द्रविहार काॅलोनी (नगला डालचन्द) ,क्वारसी बायपास, अलीगढ़-202001 (उ.प्र.) मोबा. 8630176757




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