*प्रशांत शर्मा*
सपनों की
इस बेरंग सी दुनिया में ,
इंद्रधनुष सा हो जाऊं मैं,
बस तुम रंगों सी भर जाओ ऐसे ।
जहां देखो दूर तक
रेत का समंदर सा है ,
दरिया सा भर जाऊं मैं ,
बस तुम अमृत सी बरस जाओ ऐसे ।
रिश्तों के उजाड़ वन में
नफरतों की गंध है ,
गुलशन सा महक जाऊं मैं ,
बस तुम खुशबू सी लग जाओ ऐसे ।
सारा आलम शराबी है
पीकर लोग नशे में हैं ,
बिन पिये ही मदहोश हो जाऊं मैं ,
बस तुम नशे सी चढ़ जाओ ऐसे ।
मुर्दों के शहर में
बेजान से अफसाने हैं ,
फिर एक बार जिंदा हो जाऊं मैं ,
बस तुम रूह सी उतर जाओ ऐसे ।
इस बात का गम नही की
दुनिया हराना चाहती है मुझे ,
सारे जहां से जीत जाऊं मैं,
बस तुम अपना दिल हार जाओ ऐसे ।
*प्रशांत शर्मा ,चौरई ,छिंदवाड़ा ,म प्र
शब्द प्रवाह में प्रकाशित आलेख/रचना/समाचार पर आपकी महत्वपूर्ण प्रतिक्रिया का स्वागत है-
अपने विचार भेजने के लिए मेल करे- shabdpravah.ujjain@gmail.com
या whatsapp करे 09406649733
0 टिप्पणियाँ