आज फिर याद आ गया कोई ।
मुझको ख़ुद से मिला गया कोई ।।
अपनी ख़ामोश मुस्कुराहट से,
दर्द दिल में जगा गया कोई।
अब उसे भूलना नहीं मुमकिन,
गीत जो गुनगुना गया कोई।
यक़बयक़ हैं बरस पड़ी आँखें,
बात ऐसी सुना गया कोई।
शुक्रिया ज़िन्दगी में आने का,
अपनी मंज़िल को पा गया कोई।
प्यार यूँ रंग छा गया तेरा,
जैसे मुझ में समा गया कोई।
ये मुहब्बत भी इक इबादत है,
मुझको ये सच बता गया कोई।
*राकेश जैन, उज्जैन
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