*भारती शर्मा*
तू जितना आसान बचा है
बस उतना इंसान बचा है
थोड़ा तुझमें, थोड़ा मुझमें
इक बच्चा नादान बचा है
खाली है दिल एहसासों से
कहने को इंसान बचा है
सुलग रहा कुछ मन के भीतर
देखूँ क्या सामान बचा है?
क्या मतलब, इस ख़ामोशी का
क्या कोई तूफान बचा है?
काफी कुछ खोकर भी मुझमें
जीने का अरमान बचा है
तू भी खा, औ' मुझको भी दे
जग में यूँ ईमान बचा है
जितना मुश्किल था वो बीता
अब रस्ता आसान बचा है
होते रोज़ यहाँ बँटवारे
कितना हिन्दुस्तान बचा है?
*भारती शर्मा (अलीगढ़) ,मो. 8630176757
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