-मीनाक्षी सुकुमारन, नोएडा
बारिश के बाद
कभी तो होती
महक सौंधी मिट्टी की
कभी हरे पत्तों
पर चमकती बूंदे ओस सी
कभी फूलों की महक
लगे सारी फ़िज़ा महकती सी।।
बारिश के बाद
कभी होती उमस
इतनी की तप उठे तन मन
निकले ऐसी ऊष्मा
धरती से ।।
बारिश के बाद
कभी हों मंज़र
इतने भयावह
कहीं बाढ़
कहीं टूटे मकान
कहीं लापता ज़िंदगियाँ
बस दिखते बर्बादी
के निशाँ।।
बारिश के बाद
कभी है खुशी
तो कभी गम
कभी सुहाना
कभी तपाता
कभी लुभाता
कभी सताता
कभी मन भरमाता
कभी मन रुलाता।।
-मीनाक्षी सुकुमारन, नोएडा
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