*रमेश शर्मा*
करना होगा जिंदगी,इतना तो विश्वास
आऊँगा मै लौट कर,फिर से बदल लिबास
आँसू जल की जब कभी,रोकी मैने धार
सीली-सीली हो गई ,दिल की हर दीवार
उसके मेरेे दरमियाँ,आखिर है कुछ खास
वो जो हो कर दूर भी ,लगे हमेशा पास
बने न सब्जी स्वार्थ की,कभी जायकेदार
चाहे जितना दीजिए,चोखा आप बघार
तोड़े जो दिल आपका, कर न सकूँ वह भूल
मैंने तो तोड़ा नहीं, कभी शाख से फूल
*रमेश शर्मा. मुंबई,मो.9820525940
0 टिप्पणियाँ